फिर लौट रहा मधुमास
फिर लौट रहा मधुमास
फिर लौट रहा मधुमास
हरे रंग का ओढ़े लिबास
ख़ुश्क रंगत निखर गयी
दुल्हन सी प्रकृति सज गयी ।
पवन रथ में हो सवार
परिणय मिलन को बेकरार
तूफ़ां लिए पयोद मचल रहा
अरमान इधर भी धधक रहा ।
कलियों में जो मुस्कान भरता
उर में वो उल्लास रचता
माटी में सौंधी महक
कानन में कौंधी चहक।
सुर के पाखी लुभाते
डाली - डाली पींगें लगाते
नीड़ों में कहाँ चैन - बसेरा
उनींदी आँखों में होता सबेरा ।
छा गया समंदर गगन में
विटप मुस्काया उपवन में
कोई संदेशा भेजा ना तार
पाहुन का फिर भी है इंतज़ार ।
मन पखेरू उड़ चला
प्रकृति संग झूम चला
कण - कण को है आभास
फिर लौट रहा मधुमास ।
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फिर लौट रहा मधुमास
हरे रंग का ओढ़े लिबास
ख़ुश्क रंगत निखर गयी
दुल्हन सी प्रकृति सज गयी ।
पवन रथ में हो सवार
परिणय मिलन को बेकरार
तूफ़ां लिए पयोद मचल रहा
अरमान इधर भी धधक रहा ।
कलियों में जो मुस्कान भरता
उर में वो उल्लास रचता
माटी में सौंधी महक
कानन में कौंधी चहक।
सुर के पाखी लुभाते
डाली - डाली पींगें लगाते
नीड़ों में कहाँ चैन - बसेरा
उनींदी आँखों में होता सबेरा ।
छा गया समंदर गगन में
विटप मुस्काया उपवन में
कोई संदेशा भेजा ना तार
पाहुन का फिर भी है इंतज़ार ।
मन पखेरू उड़ चला
प्रकृति संग झूम चला
कण - कण को है आभास
फिर लौट रहा मधुमास ।